कविता: उड़ान

पितृसत्ता के अधीन नहीं, मैं निडर हवा में जीना चाहती हूँ।
holding hands, friendship

कविता : एक मुलाकात

फिर एक बार तुमने तुम्हारे सपने बताये और फिर एक बार मैं अपनी ख्वाहिशें दबाने में कामयाब हो बैठा।
तस्वीर: गोपीनाथ मेनन, सौजन्य: QGraphy

कहानी: चड्डी में हाथ

तुम्हें ढूंढ़ते हुए आऊँ तुम्हारे शहर तक, तुम्हारी गली तक, तुम्हारे घर तक, उस बिस्तर तक जिस पर तुम पड़े हो , चड्ढी में हाथ डाले हुए।