Trans

समाज के तिरस्कार के बावजूद, आगे बढ़े हैं कई किन्नर

जरुरत हैं की आप और हम जैसे लोग भी समाज के मुख्य धारा में इन्हे अपनायें; ताकि ये लोग भी कंधे से कंधा मिलाकर इस महान भारत की प्रगति में अपना योगदान दे सके

Breaking the Patriarchal Gaze

Why can’t we untie these unsolicited associations of gender with anatomy? Why must certain attributes be restricted to femininity and others to masculinity

Film Submissions open for KASHISH 2021

Film submissions for the festival has opened and anyone across the world with a LGBTQIA+ film of any genre can submit for consideration through FilmFreeway
crying eye

कविता : दद्दा

मैं ढूँढता रहता हूँ ख़ुद को, शराब की ख़ाली बोतलों में. लुढ़के हुए गिलासों, जूठी तश्तरियों में