सिसक – एक कविता June 18, 2017 रोशनदानों की रोशनी सी पुलक-पुलक मैंने इबादत पढ़ी है जो परवरदिगार इसका तू और आयात तेरे अफ़साने। जावेदा-सी नहीं है ये शमा कोई, तेरी जुस्तजू में आफ़ताब-सा मेरा हिय... Read More... Hindi 0