‘अर्धनारीश्वर’ – एक कविता October 22, 2017 पहनो जो तुम पहनना चाहते हो करो जो तुम्हारा दिल कहे ज़माने की बंदिशों को परवरदिगार न समझ अनासिर बुत न समझ मुझे मैं भी उतना ही खुदा हूँ जितना है तू घुंगरू ... Read More... Hindi 4