बहुत कोशिश करता था खुद को बदलने की, लड़को की तरह रहने की, चलने की, बात करने की पर हर बार मैं वही हरकत करता जो मुझे अछी लगती। इस वजह से स्कूल में हँसी का पात्र बन गया
विजय की सहनशक्ति तब खत्म हुई जब हर कोई उसे चिढ़ाने लगा, कोई कहता था "तू इस कॉलेज से चला जा तेरे जैसों का यहाँ कोई काम नहीं" तो कोई उसके सामने "ए छक्के" कहकर चिढ़ाता था।
बचपन से ही लगता है कि या तो मैं पागल हूँ, या फिर मेरे आस पास जितने भी लोग है वो पागल हैं। अम्मा कहती थी थोड़ा अलग सा हूँ सबसे। बड़े हुए तो पता चला कि हम सबकी अ... Read More...
आज दूसरा दिन था जब उसने मेरा फ़ोन नहीं उठाया था। मैं हर बार करता और वह नहीं उठाता। उसने मुझसे वादा किया था की वह कोई और कैब नहीं चलाएगा, ऐसा इसलिए क्योंकि वह एक... Read More...
रवि : "मैंने बताया होगा मेरे TCS के दोस्त वरुण के बारे में; जो मुझे बुक्स दिया करता था।" बारिश हो रही थी सो आज दोनों को एक ही ऑटो करना पड़ा था; शौर्य एक अ... Read More...
मुझे याद है, मैं और वरुण उन सफ़ेद चादरों के नीचे परछाइयाँ बनाया करते थे, टॉर्च की रौशनी में। कुत्ता, बिल्ली जब कुछ ना बने तो भूऊऊत। उसका हसता हुआ चेहरा जिसे मै... Read More...