'तुम्हारे बाद' - एक कविता। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन।
तुम्हारे बाद।
कभी मैंने तुम को
यादों कि फुलझड़ी बना दिया
उन रातों को भरने के लिए
जिनमें खुद को तनहा पाया... Read More...
हैलो ३७७; छाया: बृजेश सुकुमारन
हैलो ३७७. आज मुझे तुमसे कुछ बातें कहनी हैं.
मुझे ये जो ज़रूरत महसूस होती है
अचानक बेबाक कहने की-
मुझे उससे प्यार है, मुझे प्य... Read More...