'ये नक़ाब उन्हें तुम्हारी ही देन है'। 'क्वीयर आज़ादी मुंबई, २०१४'। तस्वीर: सचिन जैन।
नक़ाब
चेहरों पर तुमने ओढ़े देखे होंगे नक़ाब उनके
पर सच मानो तो हक़ीक़त म... Read More...
ग़ौर फरमाएँ, असलीयत देखें! तस्वीर: जोएल ल ब्र्युषेक।
पर्दाफ़ाश
जाने क्या दफ़न है
खिले हुए चमन में
कसकर बंद कफ़न है
सच्चाई के दमन में
पर्दाफाश करने के लिए
क़फ़... Read More...
'तुम्हारे बाद' - एक कविता। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन।
तुम्हारे बाद।
कभी मैंने तुम को
यादों कि फुलझड़ी बना दिया
उन रातों को भरने के लिए
जिनमें खुद को तनहा पाया... Read More...
हैलो ३७७; छाया: बृजेश सुकुमारन
हैलो ३७७. आज मुझे तुमसे कुछ बातें कहनी हैं.
मुझे ये जो ज़रूरत महसूस होती है
अचानक बेबाक कहने की-
मुझे उससे प्यार है, मुझे प्य... Read More...