Poetry

Poem: Threads

of unknown and varied threads am Isome gather made was I of maliceothers declare, curiositythe gods themselves are bewildered and surprisedbarring those who sm... Read More...

समलैंगिक और समाज

ये आज़ादी तो बस नाम की जो सलाखो से बचाती है, पर समलैंगिको को तो घरो में कैद हर बार किया जाता है..

#RhymeAndReason: अस्तित्व

रंग कितने थे वो भीतर जानने मैं चल पड़ा, तन्हाईयों से गुफ़्तगू करने को मैं फिर चल पड़ा