Poem

कविता : नदी के किनारे

नदी के दो किनारे थे हम, एक दूसरे से बिल्कुल अलग। हमारा एक होना, लगभग नामुमकिन और हमारा एक होना, मतलब नदी का अंत।

कविता : वजूद

जब दुनिया ने मुझे मुझसे भरमाया. तब मैंने अपना 'वजूद' अपनाया।
delhi pride

Poem : Proud of Being Me

They say am cursed, am a sinner, Yes I am, in all glamour. They say am against God, am not pious, Yes I am not, I love being inauspicious.

कविता : गुड़िया

गुड़ियाएं मेरे हर राज़ की राज़दार थीकपड़े से बनी, मोटी आँखों वालीअनगढ़ अंगों वाली और हमेशा हँसने वालीजब से बड़ा हुआ, मैंने हर अपना दुख कह दिया इनसेअपनी हर खुशी ब... Read More...

कविता : इक गे की अधूरी कहानी…

दुपट्टा मम्मी का लेकर , कभी साड़ी पहनता थाकभी बहनो के संग में वो, घर घर खेल लेता थाअगर खेलेगा ये, तो मैं नहीं खेलूंगा दोस्तोंबड़े भाई की ईग्नोरेनंस, वो अक्सर झ... Read More...
LGBT pride, gay pride, delhi, india

कविता : लड़का हूँ और लड़के से प्यार करता हूँ

ये कहानी नहीं एक हकीकत हैं ये कहानी नहीं एक हकीकत हैं कागज़ पेन से नहीं, दिल से बयां करता हूँ।लड़का हूँ और लड़के से प्यार करता हूँ।। समलैंगिक हूँ कोई अभिशाप न... Read More...