Poem

कविता: उड़ान

पितृसत्ता के अधीन नहीं, मैं निडर हवा में जीना चाहती हूँ।
holding hands, friendship

कविता : एक मुलाकात

फिर एक बार तुमने तुम्हारे सपने बताये और फिर एक बार मैं अपनी ख्वाहिशें दबाने में कामयाब हो बैठा।

कविता : बता ज़िन्दगी

मैं देख तो लूँ फिर से सपने नये, बता ज़िन्दगी तूँ मुस्कुराने की वजह देगी क्या???

कविता : बंदिशें

ये किस तरह की बंदिशों में कैद हूँ मैं? क्यों इस तरह घुट-घुट के जीने को मजबूर हूँ मैं?