कहानी की पहली किश्त यहाँ पढ़ें।
उसका घर, घर जैसा था। फिर बातें हुई, बहुत-सी बातें, कुछ जरुरी थी, कुछ ग़ैर-जरुरी, कुछ याद हैं, बहुत-सी नहीं भी। उन बातो का सार यही... Read More...
एक सपना हर रात आता है। अँधेरा-सा कॉरिडोर है। कोने पर लिफ्ट है। गरदन झुकाये मैं चला जा रहा हूँ। आवाज़ आती है। "एक ही प्रेस करना, ज़ीरो नहीं।" कोई चेहरा नहीं। बस ... Read More...
A collection of autobiographical notes written between 2012 and 2014, ‘Coming Out….Scribblings from the Heart’ gives the reader an insight into a closeted gay man’s life
It has been one and half years since my wedding, and I have been dying every day ever since. I saved my family’s reputation and prestige but couldn’t save my own happiness.