एक अरसा हुआ अब तो मुझको मुझसे मिल लेने दोइस समाज और इस सोच से अब तो कुछ पल चैन की मुझको भी जी लेने दो।
कैसे समझाऊँ कि कितना तड़प रहा हूँ? इस झूठी पहचान को ख... Read More...
गुड़ियाएं मेरे हर राज़ की राज़दार थीकपड़े से बनी, मोटी आँखों वालीअनगढ़ अंगों वाली और हमेशा हँसने वालीजब से बड़ा हुआ, मैंने हर अपना दुख कह दिया इनसेअपनी हर खुशी ब... Read More...
दुपट्टा मम्मी का लेकर , कभी साड़ी पहनता थाकभी बहनो के संग में वो, घर घर खेल लेता थाअगर खेलेगा ये, तो मैं नहीं खेलूंगा दोस्तोंबड़े भाई की ईग्नोरेनंस, वो अक्सर झ... Read More...
एक रात एक सपना आता है,
जिसके दो पहेलू होते हैं।
एक में तो हम सोते हैं,
दूसरे में अन्दर से रोते हैं।
एक पहेलू में होती खुशियाँ सारी ,
जहाँ ख़्वाबों की होती प... Read More...
पहनो जो तुम पहनना चाहते हो
करो जो तुम्हारा दिल कहे
ज़माने की बंदिशों को परवरदिगार न समझ
अनासिर बुत न समझ मुझे
मैं भी उतना ही खुदा हूँ जितना है तू घुंगरू ... Read More...
जलते कोयले पर जमी राख की परत को
मिली है तुम्हारे स्पर्श से हवा
अब इस सुलगी आग का क्या करूँ मैं?
छोड़ दूँ गर इसे अपने नतीजे पे
तो प्रश्न अस्तित्त्व का है
ब... Read More...
- अभिजीत। "यह जो एक बात है" - एक कविता।
एक बात है होठों तक जो आई नहीं,
बस आँखों से है झाँकती,
तुमसे कभी,
मुझसे कभी,
कुछ लव्ज़ हैं वह माँगती।
जिनको ... Read More...
हरवंत कौर चार दशकों से शायरी लिख रहीं हैं। सरल भाषा में वह अपनी भावनाएँ बख़ूबी व्यक्त करती हैं। प्रस्तुत है 'एहसास' नामक संग्रह से उनकी एक कविता: समंदर ने कह... Read More...
'बारिश'; तस्वीर: बृजेश सुकुमारन।
बारिश...
कुछ कहानियाँ हैं छुपी, कुछ बातें बुनी थी
कब यादोंको टकराके ये गिर गयी, पता नहीं
पर
कुछ कह गयी, कुछ सुना गयी
छ... Read More...