Hindi poem

#RhymeAndReason: अस्तित्व

रंग कितने थे वो भीतर जानने मैं चल पड़ा, तन्हाईयों से गुफ़्तगू करने को मैं फिर चल पड़ा

कविता: उड़ान

पितृसत्ता के अधीन नहीं, मैं निडर हवा में जीना चाहती हूँ।

कविता : बंदिशें

ये किस तरह की बंदिशों में कैद हूँ मैं? क्यों इस तरह घुट-घुट के जीने को मजबूर हूँ मैं?

कविता : नदी के किनारे

नदी के दो किनारे थे हम, एक दूसरे से बिल्कुल अलग। हमारा एक होना, लगभग नामुमकिन और हमारा एक होना, मतलब नदी का अंत।

कविता : वजूद

जब दुनिया ने मुझे मुझसे भरमाया. तब मैंने अपना 'वजूद' अपनाया।