समलैंगिक और समाज August 17, 2021 ये आज़ादी तो बस नाम की जो सलाखो से बचाती है, पर समलैंगिको को तो घरो में कैद हर बार किया जाता है.. Hindi 3
कविता: समलैंगिक इश्क़ की मंज़िल जुदाई है June 7, 2021 कभी अपनो से लड़ना कभी दुनिया से झगड़ना, जब तक सांस है तब तक समलैंगिको की लड़ाई है Hindi 4
कविता: रिश्ते April 1, 2021 जो समाज कि नज़र से न डरते थे कभी, वो "लोग क्या कहेंगे" सोच के झिजकते भी हैं Hindi 1
कविता: एक ऐसी दुनिया March 10, 2021 मुझे हँसी आती है इस बात पर कि कैसे कुछ लोग आज भी दो पुरुषों के प्रेम को पाप समझते हैं Hindi 0
कविता : दद्दा December 1, 2020 मैं ढूँढता रहता हूँ ख़ुद को, शराब की ख़ाली बोतलों में. लुढ़के हुए गिलासों, जूठी तश्तरियों में Hindi 1