Hijra

कविता: बधाई हो ! नवजात हुआ है….

बधाई हो !नवजात हुआ हैखुशियों का अंबार लगा हैहाय ! ये क्या हुआ ?तुम सबका चेहराअचानक मातम में क्यों बदल गया ? हे भगवान ! ये तो किन्नर पैदा हो गयाअरे ! किसी को... Read More...

कविता : किन्नर हैं वो !

न नर हैंन नारी हैं वोलोगों के कथनानुसार -किन्नर हैं वो ! कोई कहे उन्हें छक्कातो कोई कहे बीच वालाअरे ! तुम भी कोई नाम दे दोइससे भी नीच वाला मत रुको तुम भी... Read More...
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कविता : ये डरता है हिजड़ों से !

एक बात हमेशा ध्यान रखनाबच्चों के मन में कभी भीकोई ग़लत बात मत बैठानावो चीजें जीवनभर नहीं छोड़तीं, कुछ बड़े बैठा देते हैंबच्चों के मन मेंबेवजह का डर..वो डर क... Read More...

कविता: उम्मीद

मेरे तकिए की नमी ये गवाह देती है कि, टूटके, बिखरके, मैं कैसे सिमटता हूँ

समलैंगिक पीड़

मीठा कहते है लोग पर, आता नहीं कोई प्रेम की मीठी खीर लेके

कविता: एक सिमटती हुई पहचान

मिल गई हमें सांवैधानिक सौगात, तीसरे दर्जे के रूप में, आखिर कब मिलेंगे बुनियादी अधिकार, भारतीय नागरिक के स्वरूप में?

सिर्फ 6 दिनों में जीता पंचायत चुनाव: कहानी कानपूर की नव निर्वाचित किन्नर सरपंच किरण काजल की

किन्नर होने की वजह से परिवार ने साथ छोड़ा , जीविका के लिए 30 रुपए की मजदूरी की, कानपुर की इस किन्नर के पास है आज सबकुछ - पैसा, सम्मान और शोहरत
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समाज के तिरस्कार के बावजूद, आगे बढ़े हैं कई किन्नर

जरुरत हैं की आप और हम जैसे लोग भी समाज के मुख्य धारा में इन्हे अपनायें; ताकि ये लोग भी कंधे से कंधा मिलाकर इस महान भारत की प्रगति में अपना योगदान दे सके