वह थी हकीक़त या ख़्वाब
जो देखा था कल रात को
सुबह उठकर न भूली
मैं तो उस बीती बात को
सदियों से जैसे बिछड़े
वैसे हम दोनों मिले थे
और गुज़ारे चाँद लम्हें जैसे
वह... Read More...
हरवंत कौर चार दशकों से शायरी लिख रहीं हैं। सरल भाषा में वह अपनी भावनाएँ बख़ूबी व्यक्त करती हैं। प्रस्तुत है 'एहसास' नामक संग्रह से उनकी एक कविता: समंदर ने कह... Read More...