एक रात एक सपना आता है,
जिसके दो पहेलू होते हैं।
एक में तो हम सोते हैं,
दूसरे में अन्दर से रोते हैं।
एक पहेलू में होती खुशियाँ सारी ,
जहाँ ख़्वाबों की होती प... Read More...
प्रस्तुत है इस स्वगत-कथन की उत्तर-कृति:
वह चुपचाप होने वाली बातें जो होकर रह गयी हैं: वक़्त के तले में अब भी चिपकी हुई हैं। वो कुछ न कह सके हम कुछ न कह सके; कभी... Read More...
पहनो जो तुम पहनना चाहते हो
करो जो तुम्हारा दिल कहे
ज़माने की बंदिशों को परवरदिगार न समझ
अनासिर बुत न समझ मुझे
मैं भी उतना ही खुदा हूँ जितना है तू घुंगरू ... Read More...
जलते कोयले पर जमी राख की परत को
मिली है तुम्हारे स्पर्श से हवा
अब इस सुलगी आग का क्या करूँ मैं?
छोड़ दूँ गर इसे अपने नतीजे पे
तो प्रश्न अस्तित्त्व का है
ब... Read More...
पंजाब विश्वविद्यालय का घटनाक्रम - मेरी नज़र में (अप्रैल २०१७ में लिखित)
मैं धनञ्जय मंगलमुखी पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ की प्रथम ट्रांसजेंडर विद्यार्थी हूँ। मै... Read More...
रोशनदानों की रोशनी सी पुलक-पुलक मैंने इबादत पढ़ी है जो
परवरदिगार इसका तू और आयात तेरे अफ़साने।
जावेदा-सी नहीं है ये शमा कोई,
तेरी जुस्तजू में आफ़ताब-सा मेरा हिय... Read More...
कहानी की पहली किश्त यहाँ पढ़ें।
उसका घर, घर जैसा था। फिर बातें हुई, बहुत-सी बातें, कुछ जरुरी थी, कुछ ग़ैर-जरुरी, कुछ याद हैं, बहुत-सी नहीं भी। उन बातो का सार यही... Read More...
एक सपना हर रात आता है। अँधेरा-सा कॉरिडोर है। कोने पर लिफ्ट है। गरदन झुकाये मैं चला जा रहा हूँ। आवाज़ आती है। "एक ही प्रेस करना, ज़ीरो नहीं।" कोई चेहरा नहीं। बस ... Read More...
यह एक वास्विक घटनाओ से प्रेरित परन्तु काल्पनिक कहानी है। तस्वीरें केवल प्रस्तुतीकरण हेतु हैं उनमें दर्शाए गए लोगों का कथा से कोई संबंध नहीं है। इस कहानी की पिछ... Read More...
यह एक वास्विक घटनाओ से प्रेरित परन्तु काल्पनिक कहानी है। तस्वीरें केवल प्रस्तुतीकरण हेतु हैं और उनमें दर्शाए गए लोगों का कथा से कोई संबंध नहीं है। इस कहानी की ... Read More...