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कविता : मुखौटा

यूं तो बस मैंने अपने आप को था अपनाया,सिर्फ़ अपनी ख़ुशी के लिए कुछ करना था चाहा।कुछ थे हमारे साथ, जिन्होंने साथ छोड़ दिया,कुछ ने थामा हुआ हमारा, हाथ छोड़ दिया।क... Read More...

4 साल के रिश्ते में आयी दूरियों को हमने कुछ ऐसे मिटाया…

यह दूसरी बार था, जब मैंने उसे ग्राइंडर पर पकड़ा था। अभी उसे बताना नहीं चाह रहा था क्योंकि उसकी परीक्षा चल रही है। इंतज़ार कर रहा था कि कब उसकी परीक्षा ख़त्म हो और... Read More...

जेंडर के ढाँचे से जूझता मेरा बचपन

मैं बचपन से ही बहुत ही नटखट, चुलबुला और थोड़ा अलग बच्चा था| मेरी माँ फिल्मों और गानों की बहुत शौक़ीन थी| माँ के दुपट्टे की साड़ी पहनना, नाचना-गाना, मेरे बचपन क... Read More...