पहनो जो तुम पहनना चाहते हो
करो जो तुम्हारा दिल कहे
ज़माने की बंदिशों को परवरदिगार न समझ
अनासिर बुत न समझ मुझे
मैं भी उतना ही खुदा हूँ जितना है तू घुंगरू ... Read More...
रोशनदानों की रोशनी सी पुलक-पुलक मैंने इबादत पढ़ी है जो
परवरदिगार इसका तू और आयात तेरे अफ़साने।
जावेदा-सी नहीं है ये शमा कोई,
तेरी जुस्तजू में आफ़ताब-सा मेरा हिय... Read More...