आधा इश्क (भाग ३/१०) | तस्वीर: चैतन्य चापेकर | सौजन्य: QGraphy
कहानी ‘आधा इश्क’ के गत हिस्से यहाँ पढ़ें:
भाग १
भाग २
प्रस्तुत है भाग ३/१०:
पूनम का ग... Read More...
कहानी ‘आधा इश्क’ के पहले के हिस्से यहाँ पढ़ें:
भाग १
प्रस्तुत है भाग २/१०: --------------------------------
तीन साल पहले:
“अरे यार, यह बस क्यों नहीं आ रही ... Read More...
वह थी हकीक़त या ख़्वाब
जो देखा था कल रात को
सुबह उठकर न भूली
मैं तो उस बीती बात को
सदियों से जैसे बिछड़े
वैसे हम दोनों मिले थे
और गुज़ारे चाँद लम्हें जैसे
वह... Read More...
प्रस्तुत है, अंकुश द्वारा रचित कहानी "आधा इश्क" की पहली कड़ी:
“ये क्या है यार, कबसे फोन लगा रही हूं। कितना सोएगा? उठ जा, आज शुक्रवार है, शनिवार नहीं। दफ्तर नहीं... Read More...
इस कहानी का पहला भाग आप यहाँ पढ़ें ।
दूसरा और आखरी भाग:
अपना दूसरा हाथ, सागर ने रिक्शावाले के कंधे पर रखा । रिक्शावाले के कंधे भालू जैसे बड़े और बोझल थे । सागर ... Read More...