गे

कविता: बधाई हो ! नवजात हुआ है….

बधाई हो !नवजात हुआ हैखुशियों का अंबार लगा हैहाय ! ये क्या हुआ ?तुम सबका चेहराअचानक मातम में क्यों बदल गया ? हे भगवान ! ये तो किन्नर पैदा हो गयाअरे ! किसी को... Read More...

कविता : किन्नर हैं वो !

न नर हैंन नारी हैं वोलोगों के कथनानुसार -किन्नर हैं वो ! कोई कहे उन्हें छक्कातो कोई कहे बीच वालाअरे ! तुम भी कोई नाम दे दोइससे भी नीच वाला मत रुको तुम भी... Read More...
LGBT Pride India, Gay Pride, Punjab Transgender

कविता : ये डरता है हिजड़ों से !

एक बात हमेशा ध्यान रखनाबच्चों के मन में कभी भीकोई ग़लत बात मत बैठानावो चीजें जीवनभर नहीं छोड़तीं, कुछ बड़े बैठा देते हैंबच्चों के मन मेंबेवजह का डर..वो डर क... Read More...

कहानी: एक थी मीरा

हमे हमारे प्यार की परिणिति पता थी, उसके बावजूद हमने आपको चाहा और बेइंतहा चाहा, और वो हमारे लिए टाइमपास बिल्कुल नहीं था

कविता: हम उनको जगाते हैं

समलैंगिक संबंध और शादी ही नहीं, शिक्षा और रोज़गार का गीत गुनगुनाते हैं, बहुत सो चुके हैं लोग, अब हम उनको जगाते हैं I

कविता: उम्मीद

मेरे तकिए की नमी ये गवाह देती है कि, टूटके, बिखरके, मैं कैसे सिमटता हूँ

समलैंगिक पीड़

मीठा कहते है लोग पर, आता नहीं कोई प्रेम की मीठी खीर लेके

कविता: गे देटिंग एप्प

हरकोई यहाँ पे सेक्स के लिए नहीं होता, कोई होता सच्चे दोस्त ओर अपने साथी के तलाश के लिए

कविता: एक सिमटती हुई पहचान

मिल गई हमें सांवैधानिक सौगात, तीसरे दर्जे के रूप में, आखिर कब मिलेंगे बुनियादी अधिकार, भारतीय नागरिक के स्वरूप में?