– अभिजीत।
एक बात है होठों तक जो आई नहीं,
बस आँखों से है झाँकती,
तुमसे कभी,
मुझसे कभी,
कुछ लव्ज़ हैं वह माँगती।
जिनको पहन कर होठों तक आ जाए वो,
आवाज़ की बाहों में बाहें ड़ाल कर इठलाएँ वो,
लेकिन जो यह एक बात है,
एहसास ही एहसास है,
खुशबू सी है जैसे हवा में तैरती।
खुशबू जो बेआवाज़ है,
जिसका पता तुमको भी है,
जिसकी खबर मुझको भी है,
दुनिया से भी छुपता नहीं,
यह न जाने कैसा राज़ है…
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- ‘यह जो एक बात है’ – एक कविता - February 18, 2015