एक रात एक सपना आता है, जिसके दो पहेलू होते हैं। एक में तो हम सोते हैं, दूसरे में अन्दर से रोते हैं।
एक पहेलू में होती खुशियाँ सारी , जहाँ ख़्वाबों की होती परियाँ सारी। इस मन में न कोई इख्तियार, एक पल लगता, कहीं हुई हार।
सुई की नोंक पर रखीं चाहतें सारी, एक गलती पर हो सकती हैं भारी। ऐसा देखूँ एक और सपना, जहाँ कोई मिल जाए अपना।
उनके कन्धों पर रख सर बात बोल दे, ज़हन में छुपा एक राज़ खोल दे। अपने इस ज़हर को बातों में घोल दे, फिर भी इन बातों का मोल दे।
फिर एक मीठी-सी मुस्कान दें , वक्त को एक पल में थमा दें। उन्हें जकड़ बाहों में भर ले, सभी शोक उनके हर ले।
वो कितना हसीन हैं पल , जहाँ मिलते हैं दो दिल। ये एक पहलू खुशियों का , ये मौसम है दिल लगी का।
पीछे हटने लगे उनके कदम , निकला यूँ साँसों का दम। मुस्काकर बोलो वी साहब , हम है आपके सपनों के ख्याब।
ये ख़्वाब सुबह होते टूट जायेगा , ये ख़्वाब सपनों मे खो जायेगा। सब कुछ आँखो मे समा जायेगा जहन में एक प्यारा दुःख रह जायेगा।
भूल जाओ हमें एक सपना मानकर , भूल जाओ हमें नश्वर मानकर। जुदाई का दर्द बहुत टीस देता है , ये सारा जमाना करता है।
अच्छा अब हम चलते हैं , किसी दिन की तरह ढलते है। शायद अगले सपने मे मिलते है तब तक ये अरमान यूँ जलते हैं
हमें यूँ छोड़कर
न जाओ हमसे मुख मोड़कर।
टूट गई ख्याबो की एक और मोहब्वत , शायद ये इश्क ही है कमबख्त।
ये सपना एक बार और आए , ये ख़्वाब की मोहब्बत पूरी हो जाए। एक पहेलू मे खुशी से हँसते है, दूसरे में खिन्न होकर रोते है।