दोपहर के चार बजे हैं। मेरा फेसबुक मेसेंजर कहता है, स्वागत शाह १२ घंटों पहले ऐक्टिव थें। यानि आज सुबह तकरीबन ४ बजे। विशवास नहीं होता न की कुछ मिनटों में उनका निधन हुआ। मुझे लगता है वह चैटिंग कर रहे होंगे इस साल के गुजरात के विभिन्न शहरों में गौरव यात्रा (प्राईड परेड) के आयोजन के बारे में।
गुजरात प्राइड फेस्टिवल का फेसबुक ग्रुप मैंने नवम्बर २०१३ में देखा। सान फ्रांसिस्को से मैं कुछ ही सप्ताह पहले अहमदाबाद हमेशा के लिए आ गया था। गुजरात में मेरे जैसे अन्य लोगों से पहचान बनाने के लिए मैं आतुर था। मैंने उन्हें मैसेज भेजा: “अहमदाबाद की गौरव यात्रा के आयोजन में मैं हाथ कैसे बंटा सकता हूँ?” उन्होंने मुझे उसी वक़्त कॉल किया। इतना ही नहीं, हमारा तुरंत एक ‘कनेक्शन’ बना – जैसे कि हम एक दुसरे को बहुत समय से जानते हो। मैं उन्हें सिर्फ २ बार मिला हूँ। पहली बार जब वह अहमदाबाद गौरव यात्रा के लिए १ दिसंबर २०१३ को यहाँ अहमदाबाद आए। और दूसरी बार जब वे वड़ोदरा की पहली गौरव यात्रा में १५ दिसंबर को शामिल हुए। सिर्फ २ मुलाक़ातें!
हाँ, फोन पर हमारे काफी सारे संभाषण हुए। हम दोनों गौरव यात्राओं के आयोजन की बारीकियों को अंतिम रूप दे रहे थे। ये गौरव यात्रा के अवसर ऐतिहासिक थे। पहली बार किसी ने गुजरात में एल.जी.बी.टी. समुदाय को बाहर लाकर दृश्यता देने का प्रयास किया। स्वागत चाहते थे कि गुजरात में एल.जी.बी.टी समुदाय के लिए उसकी अपनी जगह बने। समुदाय पर केंद्रित बाक़ी सारे स्वास्थ्य और एच.आई.वी. जागरूकता अभियानों से भिन्न। उनका विशवास था की हम समलैंगिक, महज़ एच.आई.वी. और एड्स इंटरवेंशन की टारगेट पॉपुलेशन से बहुत कुछ ज़्यादा हैं।
जब मैं अमरीका के भारतीय समलैंगिकों के मासिक ‘त्रिकोण’ के लिए काम करता था, तो मुझे मिलने का अवसर मिला था बहुत सारे एल.जी.बी.टी. कार्यकर्ताओं से। लेकिन कार्यकर्ताओं में से सबसे ज़्यादा मिलनसार, प्यारे, जोशीले कार्यकर्ताओं में से एक स्वागत थे।
वे एक प्यारे मित्र थे। उन्होंने मेरा गुजरात में ‘स्वागत’ किया! उन्होंने मुझे यहाँ की कम्यूनिटी से मिलाया। अहमदाबाद में हमारे विषयों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कार्यक्रमों को आयोजित करने की प्रेरणा दी। उनके अचानक निधन से मुझे बहुत दुःख हो रहा है। आशा है तुमसे फिरसे मुलाक़ात होगी कभी, शायद उस दुनिया में जहाँ तुम अब हो स्वागत!
- कैसे कहें ‘स्वागत’ को ‘अलविदा’? - September 30, 2014