धर्मेन्द्र राजमंगल की कहानी ‘संगिनी’के पिछले २ भाग यहाँ पढ़ें: | भाग १ | भाग २ |
प्रस्तुत है भाग ३:
श्याम इस इशारे को समझ गया था। उसने बेड से उठते हुए कहा, ‘‘कोई बात नहीं, मैं यहाँ सोफे पर सो जाऊँगा। तुम बेड पर आराम से सो जाओ।” इतना कह श्याम सोफे पर जाकर लेट गया, वह मनीषा की खूबसूरती देख उससे प्यार कर बैठा था और उसके प्रति कोई ऐसा कोई काम नहीं करना चाहता था जिससे उसे दुःख पहुँचे। मनीषा थोड़ी देर ऐसे ही बैठी रही, फिर सो गई। सुबह जब उसकी आँख खुली तो श्याम कमरे में नहीं था।
श्याम ने सारी बातें अपने घरवालों को बता दीं थीं। घर में जब लोगों को पता चला कि बहू दिमागी रूप से ठीक नहीं है तो तरह-तरह की बातें होनी शुरू हो गईं। लेकिन श्याम ने सब को शांत कर मनीषा को दोपहर तक तैयार करने के लिये कह दिया। दोपहर तक मनीषा तैयार हो कर कमरे में बैठी, तभी श्याम ने आकर उससे अपने साथ चलने के लिये कहा। मनीषा चाहकर भी उससे कुछ न कह सकी। उसे श्याम के द्वारा किये गए रात के व्यवहार की वजह से श्याम से ज़्यादा डर नहीं लग रहा था।
घर के बाहर खडी गाडी में बैठ श्याम और मनीषा एक मनोरोग विशेषज्ञ महिला डॉक्टर सीमा के क्लिनिक पर आकर रुके। मनीषा पढ़ी-लिखी थी। उसे तुरंतसमझ में आगया कि उसे यहाँ क्यों लाया गया है, लेकिन चुप रही। पहले अन्दर श्याम गया और कुछ ही देर में उसने आकर मनीषा को अन्दर चलने के लिये कहा। अन्दर जाकर मनीषा ने देखा कि डॉक्टर सीमा काफी उम्र की हैं, और गंभीर भी।
डॉक्टर सीमा ने मनीषा को बड़े प्यार से अपने सामने बिठाया और श्याम को बाहर जाने का इशारा कर दिया। श्याम के बाहर जाते ही डॉक्टर सीमा ने बड़े प्यार से मनीषा का हाथ अपने हाथों में लिया और बोली, ‘‘मनीषा मुझे सारी बातें सच-सच बता दो, शायद इससे तुम्हारा फायदा हो जाए।” मनीषा को उस लेडी डॉक्टर सीमा का व्यवहार किसी अपने जैसा लगा। वह भावुक हो गई और उसी अवस्था में वह सबकुछ बता गई जो उसके मन में था।
लेडी डॉक्टर सीमा ने एक लम्बी साँस लेते हुए मनीषा से कहा, ‘‘देखो जो हो गया उसे कोई बदल तो नहीं सकता। लेकिन तुम्हें शादी से पहले यह सब बातें अपने घर वालों को बता देनी चाहिये थीं।” मनीषा फौरन बोल पड़ी, ‘‘मैंने माँ को यह सब बताया था लेकिन वह मानी ही नहीं।” लेडी डॉक्टर, मनीषा की स्थिति को भलिभाँति समझ सकती थी। कोई भी माँ-बाप अपने बच्चे को इस स्थिति में समझकर भी वैसा नहीं करता जैसा वह चाहता है।
लेडी डॉक्टर सीमाने थोड़ी देर सोचा। फिर बोली, ‘‘अब क्या सोचा तुमने?” मनीषा ने खाली नजरों से डॉक्टर सीमा की तरफ देखा। उसे क्या पता कि अब क्या करेगी? वह तो खुद ही असमंजस में थी। लेडी डॉक्टर सीमा ने मनीषा को गौर से देखा और कहा, ‘‘अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे पति से बात करके सारी बात समझा दूँ।”
मनीषा ड़रते हुए बोली, ‘‘लेकिन इससे फायदा क्या होगा?” लेडी डॉक्टर सीमा ने समझाते हुए कहा, ‘‘मैं उसे बताऊँगी कि से सब पागलपन नहीं, साथ ही तुम्हारी सारी स्थिति बताकर उससे यह भी कहूँगी कि तुम्हें तुम्हारे हाल पर छोड अपनी दूसरी शादी कर ले। मेरा मन कहता है कि वह इस बात को मान जाएगा।”
मनीषा अन्दर तक काँप गई। सोचती थी, क्या यह सब इतनी आसानी से हो जाएगा, श्याम डॉक्टर सीमा की बात मानेगा ही क्यों? यह सब सोच मनीषा लेडी डॉक्टर सीमा से बोली, ‘‘क्या श्याम आपकी बात मान जाएगा? और अगर मान भी गया तो मेरा क्या होगा? घर गई तो हाय-तौबा होगी, शायद फिर से श्याम के पास भेज दी जाऊँ या फिर दूसरी शादी कर दी जाए।”
लेडी डॉक्टर सीमा को मनीषा की बातों में सच्चाई नजर आई। किसी भी काम को अंजाम देने से पहले उसके परिणाम के बारे में सोचना पडता है। लेडी डॉक्टर सीमा को सोचते-सोचते अचानक से कुछ ध्यान आया तो वह एकदम से मनीषा से बोल पड़ी, ‘‘मनीषा, अगर तुम चाहो तो मेरे पास इस समस्या का हल है, एक तुम्हारे ही जैसी महिला को मैं जानती हूँ, वह अपने परिवार से बग़ावत कर अलग रहती है। मेरे हिसाब से उसे तुम्हारे ही जैसी एक साथी की तलाश है, अगर सचमुच यह बात सच निकली तो समझो तुम्हारा काम हो गया। लेकिन एक मुश्किल है कि वह उम्र में तुम से बडी होगी, करीबन तीस-बत्तीस की।”
मनीषा को यह सुझाव बुरा नहीं लगा था। पाँच-सात साल उम्र बड़ी होने से क्या होता है? कम से कम जिंदगी चैन सुकून से भरी तो होगी। मनीषा ने हाँ में सिर हिला दिया जिसका मतलब लेडी डॉक्टर सीमा को समझ आ गया। उसने झट से फोन मिला किसी से बात करनी शुरू कर दी। मनीषा को पता था डॉक्टर सीमा किस से बात कर रही हैं।
फोन काटने के बाद डॉक्टर सीमा ने खुशी से उछलते हुए मनीषा से कहा, ‘‘तुम्हारा भाग्य बहुत अच्छा है, वह इस बात के लिये तैयार है और कुछ ही देर में यहाँ पहुंच जाएगी। लेकिन इससे पहले मैं तुम्हारे पति से तो बात कर ही लूँ।” इतना कह डॉक्टर सीमा ने घंटी बजा कम्पाउंडर को बुला बाहर बैठे श्याम को बुलाकर लाने को कह दिया।
मनीषा का दिल आगे की सोच से जितना खुश था उतना डर भी रहा था। श्याम डॉक्टर सीमा के कमरे में आ चुका था। डॉक्टर सीमा ने मनीषा की बराबर वाली कुर्सी पर श्याम को बैठने का इशारा किया और बोलीं, ‘‘श्याम मनीषा को कोई दिमागी परेशानी नहीं है, लेकिन यह समलैंगिक है। समलैंगिक समझते हो न?”
श्याम ने बहुतों बार समलैंगिक नाम का शब्द सुना था लेकिन यह क्या बला है इस बात पर कभी ध्यान ही नहीं दिया था। उसने ना में सिर हिलाते हुए कहा, ‘‘जी नहीं।” डॉक्टर सीमा ने समझाते हुए कहा, ‘‘समलैंगिक का मतलब अपने ही लिंग वाले महिला या पुरुष की ओर यौन आकर्षण होना। जैसे अगर पुरुष में यह हो तो वह पुरुष की तरफ आकर्षित होगा और यह महिला में हो तो वह महिला की तरफ ही आकर्षित होगी।”
कहानी की अगली किश्त पढ़िए भाग ४ में।
- ‘संगिनी’ (श्रृंखलाबद्ध कहानी भाग ५/५) - March 4, 2018
- ‘संगिनी’ (श्रृंखलाबद्ध कहानी भाग ४/५) - January 7, 2018
- ‘संगिनी’ (श्रृंखलाबद्ध कहानी भाग ३/५) - December 31, 2017