खामोश रहा हूँ मैंचुप चाप मैंने जिया हैगुमनाम रह कर मैंनेआँसुओं को पिया है।
सतरंगी रंगों से दूर ही रहा हूँ मैंकी डर के साये में मैंने यूँ जिया हैपर अब ये ज़माना मुझे बेरंग न कर सकेगाकी अब ये रंगों का कारवाँ आजीवन चलेगा।
क्यूँकि और झूठ अब मैं इस दुनिया से न बोल सकूँगाजो दूसरों से छुप भी गया तो खुदसे कैसे छुपूँगाजब कोई गलती की नहीं मैंने तो छुपना छुपाना कैसा?बस प्यार किया है मैंने ‘नार्मल’ लोगों जैसा।
मेरे प्यार को तुम नफरत से यूँ न देखोजो देखोगे प्यार से तुमतो ये प्यार दिखेगा तुम्हारे ही प्यार जैसा।।