जान से ज़्यादा यूँ चाहता हूँ तुझेख़ुदा से बढ़कर तुझे मानता हूँ।
क्यों जुदा हो गए इक दूजे से?इसे बस ख़ुदा का कहर मानता हूँ।
नहीं रह पाएँगे तेरे बिन इक पल हमबस… अब मौत से मिलने की दुआ करता हूँ।
हर शख्स में दिखता है अब तूँ ही मुझेतेरा नाम लेके हर राहगीर को पुकारता हूँ।
रिश्ता हमारा बेबुनियाद था समाज के लिएइस समाज को प्यार से रूबरू कराता हूँ।
नहीं बनाई ख़ुदा ने कोई प्यार की बोलीइसे आत्मा और जिस्म का रिश्ता मानता हूँ।
खता ये हुई जो बयान ना कर सका मैं सबकोएक लड़का हूँ…. और एक लड़के से प्यार करता हूँ।।