तुम्हारे बाद।
कभी मैंने तुम को
यादों कि फुलझड़ी बना दिया
उन रातों को भरने के लिए
जिनमें खुद को तनहा पाया।
कभी तुम जुगनू कि तरह चमके
और मैं आँखें मीचे
हकबका गया और कह नहीं पाया
कितने अच्छे दीखते हो तुम आजकल।
कभी तुम्हारे अटपटे कपड़ों से
मुझे प्यार हो गया
और तुम्हारी तस्वीरों को
सीने से लगाये बैठा रहा।
देख लेना
कभी तुम्हारा पीछा करते
तुम्हारे कैनवस के रंगों में
डूब जाऊँगा
ताकि तुम मुझे
फिर से देख सको।
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