Picture Credit : Rajat Jain

Hindi

कविता: ट्रांस है तू – अधूरी औरत !

By आदित्य अहर्निश

August 09, 2024

ट्रांस है तू —अधूरी औरत…बहुत कुछ सुना है प्रभा नेऔर सुन रही है अब भी,जो पहले प्रभव थी

जिन्होंने उसे प्रभव देखा थाउनमें से कुछ उसको अपना गएउसके साथ सामंजस्य स्थापित कर गए,बाकियों की क्या कहें —रूढ़िवादी तो हर वर्ष बनते हैं !विद्यमान रहते हैं !!इस वर्ष भी हो गयेवो ना कर पाए कभी स्वीकारप्रभव को प्रभा के रूप में

आखिर क्या कहे प्रभा भी ?कितना सहा है उसनेवही जानती है यहपहले परिवार छूट गयाऔर अब परिचित भी

गिनती के चार-पांच लोग हैंउसके पास, उसके जीवन में !लेकिन उसे धैर्य हैबहुत अच्छा-खासावो भी बचपन से,इसी बात से वो जीतती आई हैऔर जीत गई इस बार भीक्योंकि वो जानती है किमात्रा से ज्यादा गुणवत्ता मायने रखती है !

उसने अपनी लैंगिकता पहले-पहलसमलैंगिक के रूप में आत्मसात् की थीफिर नॉन-बाइनरी के रूप मेंलेकिन अब वो ट्रांस हैऔर वो खुश हैऔर कइयों के लिए उनकी प्रेरणा

अब वो नौकरी कर रही हैखुद को पाने के लिए,खुद को एक अच्छा जीवन देने के लिएऔर बहुविध सकारात्मक बदलावों के लिए ।