कविता : मुझको मुझसे मिलने दो
एक अरसा हुआ अब तो मुझको मुझसे मिल लेने दोइस समाज और इस सोच से अब तो कुछ पल चैन की मुझको भी जी लेने दो।
कैसे समझाऊँ कि कितना तड़प रहा हूँ? इस झूठी पहचान को खुद पर थोपते -थोपते, अब तो मुझे भी खुले आसमान के नीचे बाहें अपनी फैला लेने दो।एक अरसा हुआ अ... Read More...