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Gays protest against Sec 377 in India

क्या बात कुफ्र की की है हमने?

३७७ भारत छोडो! (तस्वीर: बृजेश सुकुमारन) सुप्रीम कोर्ट से आये इस फैसले पर आवाजें भी उठनी शुरू हो चुकीं हैं   वो सुबह अपने आप में कई मायने में ख़ास थी। तारीख के हिसाब से भी ,और इस मायने में भी कि देश के कुछ नागरिक (सुप्रीम कोर्ट की नज़र में ‘ए म... Read More...
spiderman mask at gate

कोलाहल से विचल

पुनरपराधिकरण से कोलाहल (तस्वीर: बृजेश सुकुमारन) एक युवक की सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के पश्चात विडियो द्वारा व्यथित प्रतिक्रिया   लैंगिकता को समझने के लिए संसाधन इंटरनेट पर प्रायः अंग्रेजी भाषा में पाये जाते हैं। इसलिए आदित्य शंकर का "कोलाहल" ... Read More...
Portest by gays against Supreme Court criminalising homosexuality

संघर्ष जारी है

संघर्ष जारी है (तस्वीर: बृजेश सुकुमारन) ये अधिकारों और समानता की लड़ाई है   हमारे समाज का बड़ा तबक़ा अपने अधिकारों को पाने के लिए लड़ रहा है। इसमें ‘आधी आबादी’ यानि औरतों से लेकर दलित, आदिवासी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं। बदलते समाज का एक प्रबुद्ध और ... Read More...
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लोकप्रिय “दुष्यन्तप्रिय”

दुष्यंत रूढ़ीवादी सोच को बदलने का एक सराहनीय मराठी नाट्याविष्कार   कालिदास की मशहूर कृति ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम्’ को भले ही आपने न पढ़ा हो। हाल ही में मुबई में ‘गुलाबी थियेटरवाले’ ग्रुप ने रंगमंच पर इसे एक नए संदर्भ और ‘ट्विस्ट’ के साथ प्रस्तुत... Read More...
Gay love story

शृंखलाबद्ध कहानी: “आदित्य”: भाग १

आदित्य - एक कहानी. तस्वीर: बृजेश सुकुमारन मैं आदित्य से अभिन्न हूं। हम दो शरीर एक जान हैं   अक्सर नेट दोस्तों से बात करते हुए वो आदित्य के बारे में पूछते हैं कि कौन है आदित्य? काफ़ी सोच विचार के बाद यह निर्णय लिया कि अब आदित्य का परिचय सब लोग... Read More...
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क्या समलैंगिकता प्राकृतिक है?

"मैं नैसर्गिक हूँ" (तस्वीर: बृजेश सुकुमारन) मैं एक पुरुष हूँ, और पुरुषों के प्रति आकर्षण मेरे लिए पूर्णतः स्वाभाविक है   कुछ लोगों की धारणा है के प्रकृति (नेचर) में मिलाप केवल स्त्री और पुरुष के बीच होता है। समाज में बहुसंख्या लोग विषमलेंगिक... Read More...