तुम्हारे बाद – एक कविता
'तुम्हारे बाद' - एक कविता। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन।
तुम्हारे बाद।
कभी मैंने तुम को
यादों कि फुलझड़ी बना दिया
उन रातों को भरने के लिए
जिनमें खुद को तनहा पाया।
कभी तुम जुगनू कि तरह चमके
और मैं आँखें मीचे
हकबका गया और कह नहीं पाया
कितने अच्छे दी... Read More...