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आदित्य और मैं... मैं और आदित्य..।

शृंखलाबद्ध कहानी ‘आदित्य’ भाग ४/५

आदित्य और मैं... मैं और आदित्य..। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन। मैं आदित्य से अभिन्न हूं। हम दो शरीर एक जान हैं। पढ़िए कहानी की पहली, दूसरी और तीसरी कड़ी। पेश है चौथी कड़ी: मैंने बिना भविष्य की चिन्ता किए इस प्रश्न का जवाब इस तरह से लिखा- प्रिय आद... Read More...
ग़ौर फरमाएँ, असलीयत देखें!

पर्दाफ़ाश – एक कविता

ग़ौर फरमाएँ, असलीयत देखें! तस्वीर: जोएल ल ब्र्युषेक। पर्दाफ़ाश जाने क्या दफ़न है खिले हुए चमन में कसकर बंद कफ़न है सच्चाई के दमन में पर्दाफाश करने के लिए क़फ़न उखाड़ना पड़ता है चमन उजाड़ना पड़ता है। नफरत पर चढ़ाई मुस्कान या वाकई खिलखिलाहट है? तन मिठ... Read More...
भ्रम, शर्मिंदगी और इंकार से आत्म-स्वीकृति तक।

आँख-मिचौली – मेरी सच्ची जीवन कहानी (भाग १/२)

भ्रम, शर्मिंदगी और इंकार से आत्म-स्वीकृति तक। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन। १९६० के दशक में जनमें एक भारतीय समलैंगिक की जीवन कहानी, उनकी ज़बानी। दो भागों का पहला भाग। कमल का फूल आत्मिक जागृति का प्रतीक माना जाता है। भगवान् बुद्ध ने कली से फूल तक के कमल... Read More...
नमस्ते, मेघालय से!

नमस्ते, मेघालय से

नमस्ते, मेघालय से! तस्वीर: बृजेश सुकुमारन मेरा नाम रेबीना सुब्बा है। मैं एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हूँ। मेरे राज्य मेघालय की राजधानी शिलोंग में मैंने और बथशीबा पिंगरोपे, जो स्वयं शिलोंग की लीगल फ्रैटर्निटी का हिस्सा हैं, ने ‘शमकामी’ नामक संस्था... Read More...
इम्फाल प्राइड २०१४

इम्फाल में प्राइड का कमाल

इम्फाल प्राइड २०१४। यूथ हॉस्टल, खुमान लम्पक से परेड की शुरुआत। तस्वीर: कौशिक गुप्ता। इस प्राईड वॉक या गौरव यात्रा का आयोजन १५ मार्च २०१४ को मणिपुर राज्य की राजधानी इम्फाल में हुआ। 'आल मणिपुर नूपी मानबी एसोसिएशन (आमाना)' ने, 'साथी-पहचान' और 'प्रोजेक... Read More...
चुनाव की रंगारंग सरगर्मी में समलैंगिक अधिकारों की दखल?

अधिकार माँगपत्र – समय की ज़रूरत

चुनाव की रंगारंग सरगर्मी में समलैंगिक अधिकारों की दखल? तस्वीर: बृजेश सुकुमारन। राजनैतिक दलों और राजनीति का हम सब की ज़िन्दगी पर गहरा प्रभाव पड़ता है। देश के संविधान, कानून और नीतियाँ बनाने और पालन करने वाले अक्सर इन्हीं दलों से जुड़े होते हैं। एल... Read More...
चित्रा पालेकर: एक मुलाक़ात

एक मुलाक़ात: चित्रा पालेकर

चित्रा पालेकर: एक मुलाक़ात। छाया: सचिन जैन। चित्रा पालेकर की बेटी शाल्मली ने उन्हें १९९० के दशक में बताया कि वह समलैंगिक है। तबसे चित्रा ने एक लंबा सफ़र तय किया है - समलैंगिकता समझने का और एल-जी-बी-टी समुदाय को अपनाने का। दिल्ली उच्च न्यायलय में एल-ज... Read More...
'समानुभूति की तुला'

उम्मीद पर दुनिया क़ायम है

'समानुभूति की तुला'; तस्वीर: सचिन जैन। "उम्मीद पर दुनिया क़ायम है" - अम्मा ने मेरे कान में कहा और मुझे कुछ घसीटती, कुछ खींचती, माइक के सामने खड़ा कर, अपनी जगह पर जा कर बैठ गईं। मुझे एक वाद-विवाद के कार्यक्रम में एक छोटा सा भाषण देना था। मैं डरा हु... Read More...
'नयी राह, नया सफ़र!'

संपादकीय ३ ( ०१ मार्च २०१४)

'नयी राह, नया सफ़र!', तस्वीर: सचिन जैन इस अंक की थीम है 'नयी राह'। पुनरपराधिकरण और रिव्यु याचिका के नामंज़ूर होने के बाद इन्साफ का रास्ता अब शायद संसद से होकर जायेगा। "उम्मीद पर दुनिया क़ायम है" में उवैस खान लैंगिक अल्पसंखयकों के राजनितिक दल की स... Read More...
गुवाहाटी प्राइड परेड २०१४

गुवाहाटी, तेरी प्राईड-रंजित माटी!

गुवाहाटी प्राइड परेड २०१४; तस्वीर: लेस्ली एस्टीव्ज़। ९ फरवरी २०१४ को असम राज्य के गुवाहाटी शहर में पहली बार प्राईड परेड हुआ। सुबह ११ बजे चली मार्च दिघलिपुखुड़ी से शुरू होकर आर.बी.आई, ओल्ड एस.पी ऑफिस लेन, कॉटन कॉलेज, लतहील फील्ड, आम्बरी लांब मार्ग होक... Read More...
पेहराव और पहचान

पेहराव और पहचान

पेहराव और पहचान; तस्वीर: बृजेश सुकुमारन मैं एक उभयलैंगिक (बाइसेक्शुअल) औरत हूँ। कुछ चीज़ों में मैं किसी भी दूसरी औरत की तरह हूँ। मुझे सजना-धजना, मेक-अप लगाना, हील्स पेहेनना अच्छा लगता है। लेकिन दूसरी तरफ मुझमे कुछ मर्दानी प्रवृत्तियाँ भी हैं। मेरे ब... Read More...
नाटक: 'आख़िर क्यों' में पंचायत का प्रसंग।

‘आख़िर क्यों’ – एक साहसी नाट्याविष्कार

१८ जनवरी २०१४ को आई.आई.टी. खड़गपुर के नेताजी सभागृह में अंतर-हॉल हिंदी नाट्यस्पर्धा २०१३-२०१४ के अंतर्गत 'आख़िर क्यों', नामक नाट्याविष्कार प्रस्तुत किया गया। इंजीनियरिंग की हर स्ट्रीम के द्वितीय वर्ष से लेकर पंचम वर्ष तक के छात्रों ने एच.जे.बी. हॉल ऑफ़ ... Read More...