‘बारिश’ – एक कविता
'बारिश'; तस्वीर: बृजेश सुकुमारन।
बारिश...
कुछ कहानियाँ हैं छुपी, कुछ बातें बुनी थी
कब यादोंको टकराके ये गिर गयी, पता नहीं
पर
कुछ कह गयी, कुछ सुना गयी
छोड़ गयी गीले कदमोंके निशान
थोड़ी महक और दूर कहीं कौरे की लट
आँगन में नाचेगी, सारी वादियाँ ... Read More...