बोझ नज़र का – एक कविता
तस्वीर: बृजेश सुकुमारन
- अक़ीला ख़ान
तुम्हारी नज़र मुझमे ऐसी गड़ी
ठिटक कर मैं साकित-सी रह गई खड़ी
कोई नश्तर-सा पेवस्त बदन में हुआ
निगले जाने का अहसास तन में हुआ
वार तूने हवस का किया तीर से
मैंने तोडा वह हिम्मत की शमशीर से
तुमने सोचा कि शायद म... Read More...