इतने सालो में सब बदल गया होगा: उसकी हँसी, उसकी बातें, सब बदल गया होगा। अब वो मिले तो शायद मुझे नए सिरे से अपनी तलाश शुरू करनी होगी... कि 'वो है... या नहीं ?'।
श्रुंखलाबद्ध कहानी 'वह थोड़ा अलग था' की पहली और दूसरी कड़ी पढ़ें। प्रस्तुत है कहानी की तीसरी और आखरी किश्त:
मैंने बात को न बताने के लिहाज से बात बदली, ‘‘अरे यार छोडो अब, जो उसने किया वो मैं तुम्हें बता भी नही सकता।” मानसी इठती हुयी बोली, ‘‘अरे अब बता ... Read More...
कहानी 'वह थोडा अलग था' का पहला भाग यहाँ पढ़ें। प्रस्तुत है भाग २:
नौवीं की पढाई पूरी हुयी तो हम लोग दसवीं में आ गये। मोहन और मानसी अब भी मेरे साथ ही पढते थे। जुलाई अगस्त का महीना गर्मी और बरसात से मिला-जुला था। मैं अपने घर की छत पर सोता था। एक दिन मो... Read More...
प्रस्तुत है लेखक धर्मेन्द्र राजमङ्गल की मार्मिक कथा 'वह थोडा अलग था' की पहली कडी:
उस समय की बात है जब मैं नौवीं क्लास में पढता था। मेरे दोस्तों की संख्या बहुत कम थी। क्लास में कुल मिलाकर छत्तीस लडके-लडकियां पढते थे, लेकिन मेरे लिये दो लोग ही मेरी पू... Read More...
"इस रात की सुबह है", इस श्रुंखला के अंतर्गत हम आपको हमारे वाचकों द्वारा भेजे गए आत्मकथन प्रस्तुत करते हैं। भारत के लैंगिकता और जिन्सी अल्पसंखकों की कहानियों में हम उनके संघर्ष के बारे में; भेदभाव के बावजूद सम्मान के साथ जीने में सफल होने के बारे में... Read More...
शृंखलाबद्ध कहानी 'आधा इश्क' की पहली नौ किश्तें यहाँ पढ़ें:
भाग १| भाग २ | भाग ३ | भाग ४ | भाग ५ | भाग ६ | भाग ७ | भाग ८ | भाग ९|
प्रस्तुत है इस कथा का दसवां और आखरी भाग:
नीरज की डायरी:
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“सन्दीप, अब जब मम्मी ने बताया कि तुम उन्हें ... Read More...
शृंखलाबद्ध कहानी 'आधा इश्क' की पहली आठ किश्तें यहाँ पढ़ें:
भाग १| भाग २ | भाग ३ | भाग ४ | भाग ५ | भाग ६ | भाग ७ | भाग ८ |
प्रस्तुत है इस कथा का नौवां भाग: रिज़ल्ट का दिन:
“ओये, तेरे कित्ते आये?” राकेश ने मनोज से पूछा।
“यार फर्स्ट क्लास ही ... Read More...
दिल्ली क्वीयर प्राइड समिति एक स्वैछिक समूह है जो सामुदायिक लागत से दिल्ली क्वीयर प्राइड और उस से जुड़े कार्यक्रम आयोजित करता है। दिल्ली क्वीयर प्राइड क्वीयर समुदाय और उसके समर्थकों को साथ लाती है।
तस्वीर: क्लेसटिन डीकॉस्टा; सौजन्य: QGraphy
आज सेनगुप्ता अंकल गुज़र गए। सेनगुप्ता अंकल मेरे पड़ोसी हैं। १९७२ में जब हमारी बिल्डिंग बनी थी, मेरे माता-पिता और सेनगुप्ता अंकल ने ९वी मंजिल पर फ्लैट लिए थे। हम थे लिफ्ट के एक तरफ “९ई” में, तो वे दूसरी तरफ “... Read More...
श्रुन्खलाबद्ध कहानी 'आधा इश्क' की पहली पाँच किश्तें यहाँ पढ़ें:
भाग १| भाग २ | भाग ३ | भाग ४ | भाग ५ | भाग ६ | भाग ७ |
प्रस्तुत है इस कथा का आठवां भाग:
आज आखरी पेपर था। परीक्षाएं ख़त्म हो गईं थीं और कॉलेज हमेशा के लिए बंद होने को था, यह सोचकर सारे... Read More...
'आधा इश्क' (भाग ७/१०) | तस्वीर: कार्तिक शर्मा | सौजन्य: QGraphy
श्रुन्खलाबद्ध कहानी 'आधा इश्क' की पहली छः किश्तें यहाँ पढ़ें:
भाग १ | भाग २ | भाग ३ | भाग ४ | भाग ५ | भाग ६
प्रस्तुत है इस कथा का सातवां भाग:
नीरज दूर से यह सब देखकर हँसने लगा। उसकी ... Read More...
'लिहाफ मेरे मोहल्ले में '| छाया: बिनीत पटेल | सौजन्य: QGraphy
हमारे घर के सामने एक छोटी-सी किताबों की दुकान/ लायब्रेरी हुआ करती थी। किताबों की छोटी-सी दुकान में खूब खचाखच पुराने नए अफ़साने, ग़ज़ल, और कहानियों से भरी किताबें और नॉवेल। ५० पैसे और १ ... Read More...