“वापसी” एक शृंखलाबद्ध कहानी (भाग १/२)
एक सपना हर रात आता है। अँधेरा-सा कॉरिडोर है। कोने पर लिफ्ट है। गरदन झुकाये मैं चला जा रहा हूँ। आवाज़ आती है। "एक ही प्रेस करना, ज़ीरो नहीं।" कोई चेहरा नहीं। बस आवाज़। अरसा गुज़र चूका है, पर कुछ है जो मेरे ज़हन से उतरा नहीं है। सपनों ने काफी तबाही मचायी... Read More...