‘संगिनी’ (श्रृंखलाबद्ध कहानी भाग १/५)
जब से मनीषा की शादी तय हुई तभी से उसकी बेचैनी सातवें आसमान पर थी। उसने सपने में भी शादी के बारे में नहीं सोचा था। वो तो शादी करना ही नहीं चाहती थी। उसने सीधे अपनी माँ से जाकर बात करने का मन बनाया। शर्म तो आती थी लेकिन शर्म करते रहने से उसकी जिंदगी खत... Read More...