“दो पहलू” – एक कविता
एक रात एक सपना आता है,
जिसके दो पहेलू होते हैं।
एक में तो हम सोते हैं,
दूसरे में अन्दर से रोते हैं।
एक पहेलू में होती खुशियाँ सारी ,
जहाँ ख़्वाबों की होती परियाँ सारी।
इस मन में न कोई इख्तियार,
एक पल लगता, कहीं हुई हार।
सुई की नोंक पर रखीं चाह... Read More...