कविता : मुखौटा
यूं तो बस मैंने अपने आप को था अपनाया,सिर्फ़ अपनी ख़ुशी के लिए कुछ करना था चाहा।कुछ थे हमारे साथ, जिन्होंने साथ छोड़ दिया,कुछ ने थामा हुआ हमारा, हाथ छोड़ दिया।कुछ ऐसे भी थे जो समझे ही नहीं बात हमारी,और उन कुछ ने, करना तक हमसे बात कर छोड़ दिया।।
रह... Read More...