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कविता: सारथी

Krishna

Picture Credit: Binit Patel / QGraphy

हर प्रेमकहानी में राधा कृष्ण नहीं होते।
कुछ प्रेमकहानियों मेंं कृष्ण और अजुर्न भी होते हैं…
मेरा तात्पर्य किसी समलैंगिक रिश्ते से नही है…

मेरा सिर्फ इतना कहना है कि…
हमारी प्रेमकहानी मेंं तुम थे अजुर्न
और
मैं बना कृष्ण
तुम्हारे जीवन के महाभारत मेंं जब तुम्हें आवश्यकता थी मेरी
उस समय मैं बना तुम्हारा सारथी और दिखाया तुम्हें प्रत्येक क्षण एक उचित मार्ग…
जो ले जाये धर्मसंकट से निकालकर तुम्हें धर्म के मार्ग पर…
सदैव ही रक्षण किया तुम्हारा

किन्तु

जब समाप्त हो गया मेरा किरदार तुम्हारे जीवन में…
तो कितनी सहजता से त्याग दिया तुमने मुझे और ढूंढ लिया एक नया सारथी…
जो ले जाये तुम्हें जीवन की एक नयी राह पर…
उचित किया
परन्तु स्मरण रहे
कितने ही बदल लो तुम सारथी
कितना ही भुला दो मुझे…
और
तुम्हारे लिए मैं तुम्हारा कृष्ण रहूँ या नहीं रहूँ
पर मेरे लिए तुम सदैव पार्थ ही रहोगे…

मेरे पार्थ…

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