इंतज़ार न कर भूली यादों का
वक्त के साथ वो भी बह गए
अनुभव कहते हैं यार उसे
जो अनजाने में तुम सह गए
कल तो सिर्फ़ इक ख़्वाब था
उसकी याद में क्यूँ पीछे रह गए
तेरी मुट्ठी में बस आज है
जो समझे वही आगे बढ़ गए
Latest posts by Amit Rai (see all)
- Poem: There’s No One - September 17, 2023
- कविता: उम्मीद - February 24, 2022
- कविता: अरमान - April 16, 2021