Picture Credit : Rajat Jain

Hindi

कविता : जीओ और जीने दो

By आदित्य अहर्निश

March 09, 2024

क्यों कहा जाता हैढलने को हमें, बदलने को हमेंकि लड़के हो तुम,चलो लड़के की तरह !रहो लड़के की तरह !!

ये है हमारी स्वेच्छा किहम किसी में भी ढलें,कैसे भी चलें,कैसे भी रहेंइसमें हमारे अतिरिक्तकिसी का कोई अधिकार नहींहम भी भारत के नागरिक हैंनिजता का अधिकार है हमारा भी

हम रंगे पलकें, नाखून, होंठ, बाल या गालये हमारी मर्जी है, तुम्हारी नहीं !यह अमिट सत्य है किहमने, तुम्हारे अधिकारों मेंनहीं किया है हस्तक्षेप कभी भीतो तुम्हारा भी हमारे निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं

माना कि तुमसे अलग हैलैंगिकता हमारीतुम्हें इससे नहीं होना चाहिए कोई एतराज़ !आंकना हो तो आंकों हमेंहमारी कला-कौशल परजीतेंगे हम भी

प्रेम, प्रेम होता हैयह मान लो तुम भीहमसे घृणा करके क्या मिलेगा तुम्हें ?हम अपने मेंतो कभी अपनों सेकभी शिक्षण संस्थानों में, कभी कार्यक्षेत्र में,तो कभी मार्ग मेंसुनते हैं बुरा-बुरा बेवजहऔर पाते हैं घृणातुम तो इज्ज़त दोसमझदार हो सभी !

मत करो घृणामत देखो तृष्णा सेप्रेम, प्रेम होता हैचाहो तो करोन चाहो तो मत करोमगर मत करो अपमान,

मत करो अपमानमत करो बेवजह घृणामत करो !!!तुम स्वयं भी आनंद से जीओऔर हमें भी जीने दो।