देवेश खाटू

Hindi

कविता : बता ज़िन्दगी

By अनामिका बर्मन (Anamika Burman)

February 27, 2020

मैं देख तो लूँ फिर से सपने नये, बता ज़िन्दगी तूँ फिर से मुस्कुराने की वज़ह देगी क्या?अब हार सा गया हूँ तुझे समझते-समझते, बता ज़िन्दगी तू मुझे फिर से बचपन की वो नादानियाँ देगी क्या?

अब मेरा हर एक दिन एक समझौते सा हो गया है फ़िक्र और परेशानियों का मारा सा जीवन हो गया है,बता ज़िन्दगी तू मेरे इन लड़खड़ाते कदमों को, फिर से नई उड़ान देगी क्या?

हैरानियाँ परेशानियाँ ज़िम्मेदारियाँ और न जाने किन-किन चीज़ों में उलझ गया हूँ मैं ,बता ज़िन्दगी तू मेरे इन पस्त होते हौसलों को फिर से नए हौसले देगी क्या?

ज़िन्दगी के भँवर में कहीं कैद सा महसूस करता हूँ जितना कोशिश करूँ उतना ही खुद को लाचार पाता हूँबता ज़िन्दगी तू फिर से मेरी इन बेचैनियों को चैन देगी क्या??इस कदर बदल जाएगी तूँ ज़िन्दगी कि मुझे इस तरह घुट घुट कर भी जीना पड़ेगा ये सोचकर अक्सर मैं रो देता हूँ बता ज़िन्दगी तू मेरी इस घुटन को फिर से हवा देगी क्या?

मैं देख तो लूँ फिर से सपने नयेबता ज़िन्दगी तूँ मुस्कुराने की वजह देगी क्या???