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Hindi

कविता: एक ऐसी दुनिया

By ऋषभ गोयल (Rishabh Goyal)

March 10, 2021

एक ऐसी दुनिया की कल्पना करो जहाँ लोग उगते सूरज से नफ़रत करते हैंजहाँ माना जाता है हर तरह के फूल को बर्बादी का परिचायकजहाँ सिर्फ़ दो ही रंगों का उतसव मनाया जाता है – स्लेटी और कालाजहाँ हँसने, मुस्कुराने और ख़ुश होने पर सुना दी जाती है सज़ाजहाँ के लोग गीली मिट्टी की ख़ुशबू सूँघकर, नाक भींच लेते हैंजहाँ सिर्फ़ कैदियों और दुश्मनों को पिलाई जाती है चायजहाँ ‘इंसानियत’ शब्द का इस्तेमाल होता है गाली की तरहउसी दुनिया में मेरे और तुम्हारे प्रेम को पाप माना जाता हैअरे रुको! मेरा और तुम्हारा प्रेम तो इस दुनिया में भी पाप हैजब तुम्हारे आलिंगन में लेटा मैं दुनिया के सबसे खूबसूरत भाव की अनुभूती कर रहा होता हूँतो मुझे ये बात याद आ जाती है और मैं ज़ोर से हँस देता हूँमुझे हँसी आती है इस बात पर कि कैसे कुछ लोग आज भी दो पुरुषों के प्रेम को पाप समझते हैंऔर उनके लिए सूरज का उगना, फूलों का खिलना, हँसना, मुस्कुराना पाप नहीं हैं।