शारीरिक संबंध, यौन क्रिया, कामक्रीड़ा… चलो… इसे ज़रा आसान करके समझते है- “सेक्स”! जी हाँ! आपने सही सुना: “सेक्स” एक ऐसा रोमांचकारी शब्द जिसके उच्चारण के साथ ही हम इंसानों के दिमाग की नसों में उत्साहवर्धक रसायनो का दौड़ना शुरू होता है। उत्साह इतना की इस काम को हमारा दिल, दिमाग और शरीर पूरी तरह से एकाग्रह होकर करने में जुट जाता है। “सेक्स” हम इंसानो की कुदरती, शारीरिक और खूबसूरत ज़रुरत है, जिसके लगातार अभ्यास किये जाने से मानव सभ्यता का महत्वपूर्ण विकास हुआ। सेक्स अपने शरीर को करीब से महसूस करने का एक आध्यात्मिक एहसास है। मानव विकास के शुरुआत के दौर में ये हमारे वंशज आदिमानवो के लिए एक सरल और साधारण क्रिया थी। जिसे वो सरल रूप से कुदरती तौरपर उत्तेजित होनेपर अपनी उत्तेजना को एक दूसरे के साथ बांटते थे। भिन्न लिंगो का होना इस में ये ज़रूरी नहीं था, बस इस कुदरत के दिए गए शारीरक उत्तेजना के खूबसूरत खुभी का रूहानी एहसास को महसूस करना होता था।
बाद में कालांतर से दुनिया में इंसानों ने सेक्स पर समुदाय परमपराओ के नियम लगवा दिए। इंसानो ने अपने इस कुदरती एहसास पर बेवजह अंकुश लगवा दिया। पहले इंसान बड़े ही सरलता से अपने इस कुदरती एहसास का आनंद लिया करता था, पर आज इंसान को अपने इस कुदरती खुभी का एहसास परंपरा, धर्म, नियमशास्र, स्री-पुरुष और नैसर्गिक-अनैसर्गिक जैसे मानवनिर्मित नियमो में रहकर करना पड़ रहा है।
बंदिशों के इस ज़माने में अपने कुदरती एहसास को आज़ादी से महसूस करने की कई सारी तरकीबे हमने ढूंढ निकाली। शायद आज के मॉडर्न ज़माने में “हुकउप कल्चर” ऐसी ही एक तरकीब का हम सबके सामने जन्म हुआ। “हुकउप कल्चर” में दो वयस्क समझदार व्यक्तिओ के बिच आपसी सहमति से शारीरिक सम्बंद बनाया जाता है। खासकर युवा वर्ग अपनी शारीरिक यौन ज़रुरत को “हुकउप कल्चर” के ज़रिये पूरा करने लगा। इंटरनेट के अभी के इस दौर में हुकउप वेबसाइट और मोबइल ऍप के आने से इसका प्रभाव समाज के सभी वर्ग पर पड़ा। इसके ज़रिये हम सभी को अपनी निजी लैंगिक उत्तेजना को और भी बेहतर करीब से जानने का मौका मिला। व्यक्तिगत जीवन पर तमाम तरीके के सामाजिक निर्बंध लगाए हुए ऐसे lgbtq+ समुदाय के व्यक्ति को अपने शारीरिक यौन ज़रुरत को जानने और उसे आज़ादी के साथ पूरा करने का एक ज़रिया मिला। आज कई सारे गे डेटिंग, हुकउप ऐप्स है जिसका इस्तेमाल हम और आप कर रहे हैं।
जब कोरोना के कारण हम सब लोग घर पर अपनी सोशल लाइफ से अलग होकर बैठे थे, उसी दौरन डेटिंग और हुकउप एप्स का डाउनलोडिंग और इस्तेमाल सबसे ज़्यादा बढ़ा। हालाँकि कोरोना के सामाजिक दूरी वाले नियम और डेटिंग साइट्स की शारीरिक नज़दीकियां वाली खुभियाँ ये दोनों ही… एकदूसरे के परस्पर विरोधी संकल्पनायें थी। ऐसे में कोरोना संक्रमण और भी गंभीर रूप से फैलने का खतरा बना हुआ है। पर फिर भी हम अपनी शारीरिक यौन ज़रुरत को लम्बे समय तक पूरा ना कर पाने से परेशान थे। इंसानी शरीर में यौन ज़रुरत को एक हद से ज़्यादा समय तक जबरन रोके रखना या उसे ना करने से मानसिक तणाव, अनिद्रा, एंग्जायटी और स्ट्रेस, कमज़ोर इम्यून सिस्टम जैसी परेशानिया होती हैं। एक lgbt व्यक्ति को पहले ही मानसिक तनाव, अकेलापन और अपनी लैंगिक पहचान को छूपाकर दबाये रखना… जैसी समस्याएं होती हैं। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम इन सबसे परेशान होकर जल्दबाज़ी में कोरोना काल में अपनी यौन ज़रुरत को पूरा करने के लिए बाहर निकले और कोरोना से संक्रमित हो जाये।
अभी हाल ही की बात है, मुंबई में मेरे एक दोस्त के परिचित व्यक्ति का उदाहरण है। पहला लोकडाउन खुलते ही वो शख्स डेटिंग और हुकउप करने लगा। एक दूसरे से मिलने के लिए दोनों शख्स शहर के अलग अलग जगह से ट्रेवल करके पहुंचे। ट्रेवल करते समय दोनों में से कोई एक कोरोना के वायरस के संपर्क में आया। लॉकडाउन के चलते शहर में सारे होटल, बार बंद होने के कारण दोनों एकदूसरे से अपनी प्राइवेट जगह पर मिले और एक दूसरे के साथ अपना वक्त बिताया। बाद में घर लौटने पर दोनों ही कोरोना सक्रमित हो चुके थे और उसके साथ साथ सक्रमण को वो अपने घर ले आये थे। उनके कारण उनकी फॅमिली के दूसरे लोग भी सक्रमित हो गए।
वैज्ञानिक जानकारों का कहना है की दुनिया में आने वाले कुछ सालो तक सक्रमण का दौर चलते रहेगा। ऐसे में बेहतर होगा की हम इंसानो को अपने रोजमर्रा की ज़िन्दगी जीने की आदतों को हालात के मुताबिक बदलना होगा। बस, हमें डेटिंग करने के तरीको में थोड़ा बदलाव करना होगा। वो कैसे? चलिए इसे समझते है।
जिसके साथ हम डेटिंग, ऑनलइन बाते कर रहे है उस शख्स के बारे में पहले अच्छी तरह जान ले, तुरंत फिजिकल मीटिंग हमे नहीं करनी है।
जैसे हमें इन बातों का ख्याल रखना है की…
- हमें आपस में ईमानदारी से एक दूसरे की पिछले कुछ महीनो की मेडिकल हिस्ट्री की जानकारी शेयर करनी चाहिए।
- डेटिंग ऐप्प पर एरिया सर्च करते वक्त कन्टेनमेंट ज़ोन का ख्याल रखें या किसी भी कन्टेनमेंट ज़ोन में फिजिकल मीटिंग को न जायें।
- अपने आपको पूरी तरीके से वैक्सीनेटेड करवा ले और अपने डेटिंग पार्टनर से भी उसकी वैक्सीनेशन की जानकारी ले।
- कुछ डेटिंग ऐप्प पर यूजर प्रोफाइल पर वैक्सीनेटेड लिखा आता है। अगर आप ने भी पूरी तरह से वैक्सीन ले ली हो तो आप भी अपने प्रोफाइल पर इस ऑप्शन को ऑन कर सकते है।
- अगर आपके पास दो कमरे वाला घर हो, अगर संभव हो तो अपने डेटिंग पार्टनर को दूसरे कमरे में १४ से १५ दिन तक क्वारंटाइन में रहने को कह सकते हो। १४ दिन का क्वारंटाइन समय पूरा होने पर बाद में आप दोनों एक ही कमरे में एक दूसरे के साथ रह सकते हो। इससे आप सुरक्षित भी रहोगे और एक दूसरे को करीब से जानने के लिए ज़्यादा वक्त भी मिल जाएगा। ये आपकी ज़िन्दगी की सबसे लम्बी डेट तो बन सकती है पर उसके साथ ये एक यादगार डेट होगी .. फिर क्या पता शायद आपको अपना लाइफ पार्टनर भी मिल जाये।
पहले डेटिंग साइट्स पर ब्लैकमेल, लूटमार और पैसो की हेराफेरी करने वाले कुछ आपराधिक समूह सक्रीय रहते ही थे, पर अब… कोरोना के समय में बढ़ती बेरोज़गारी और महंगाई के कारण डेटिंग साइट्स पर खासकर गे डेटिंग साइट्स पर ऐसे आपराधिक मामले ज्यादा बढ़ रहे है। डेटिंग साइट पर लोगो को अपने जाल में फ़साना पहले से भी और आसान बन गया है। इसलिए कोरोना वायरस के साथ साथ समाज के ऐसे वायरस से भी हमे बच के रहना है।
आधुनिक मशीनों वाली इस दुनिया में हम इंसानो ने सेक्स से मिलने वाले अपने रूहानी एहसास को महसूस करना कहीं खो दिया था। भागदौड़ वाली इस दुनिया में हमने सेक्स को सिर्फ एक ट्रेन्ड की तरह देखा। फिर इस ट्रेंड में बने रहने के लिए, रेस में औरो की बराबरी करने की होड़ में हमने सेक्स को सिर्फ एक दिखावे के लिए किया। इसी दौरान सेक्स को लेकर कई सारी गलत धारणाओं को भी हमने जन्म दिया।
अगर सकारात्मक होकर देखा जाय तो कोरोना काल… हमारे लिए सेक्स को फिर से उसके इंसानी कुदरती अंदाज़ में महसूस करने का मौका लाया है। जिसमे आप अपने पार्टनर को समय के साथ समझ सकते हो और एक दूसरे के जिस्म को महसूस कर सकते हो। कामक्रीड़ा में शारीरिक गठजोड़ के साथ साथ रूह का भी मिलन हो। बस कुछ सावधानी भरे नियमों का पालन कर… हम अपने डेटिंग पार्टनर के साथ सेक्स को आज़ाद और रूहानियत एहसास के साथ करना शुरू कर सकते है।
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