हिज्र - एक कविता। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन

Hindi

हिज्र – एक कविता

By Karim Nanvour

June 01, 2014

तुम्हें याद है

उस रात

हिज्र की सुबह

आते-आते

आधा चाँद

तुम साथ ले गए थे

आधा चाँद

मेरे पास रह गया था।

और बिछड़ते वक़्त

हम दोनों जान गए थे

अब चाँद कभी पूरा न होगा

कभी पूरा न होगा।