तुम्हें याद है
उस रात
हिज्र की सुबह
आते-आते
आधा चाँद
तुम साथ ले गए थे
आधा चाँद
मेरे पास रह गया था।
और बिछड़ते वक़्त
हम दोनों जान गए थे
अब चाँद कभी पूरा न होगा
कभी पूरा न होगा।
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