तस्वीर: गोपीनाथ मेनन, सौजन्य: QGraphy

Hindi

कविता: समलैंगिक प्यार की कीमत

By जीतू बगर्ती

July 20, 2021

बीच बाज़ार वह बिकने को तैयारदाम रुपैया मात्र हजारना घर ना बार ना चूल्हा चौकीदारना माँ की ममताना बाप का प्यार

ना आगे कोई रास्ताना पीछे कोई संसारना जेब में फूटी कौड़ीना किसी संपत्ति पर अधिकारघर से दुत्कार कर निकाला हुआवह बेबस वह लाचार

साथ में नहीं है कुछ उसकेबस आत्मा शरीर और एक दिल गद्दारगलती नही है कुछ उसकीबस किस्मत से बीमार

लड़का होकर वो बेचाराएक लड़के से कर बैठा प्यारसमाज के संग जीने की चाहत है परसमाज को नहीं है वो स्वीकारअब क्या करे भाग्य का माराजिसका नहीं कोई जीवन आधारइसलिए तो

खड़ा चौराहे पर बीच बाज़ारवह बिकने को तैयार।