किन्नर अखाड़ा ट्रांसजेण्डर समुदाय की धार्मिक स्वीकार्यता के लिए मील का पत्थर साबित होगा। भारत की एक प्रमुख ट्रांसजेण्डर अधिकार कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी तथा उज्जैन स्थितअशोक वाटिका आश्रम के संचालक अजय दास जी महाराज के सहयोग से किन्नर अखाड़े का गठन हुआ। उसकी पूरे भारत की प्रमुख के तौर पर महामंडलेश्वर पद पर कमला गुरु का चुनाव किया गया जो कि पूर्व में मध्य प्रदेश स्थानीय नगर निगम की मेयर के तौर पर चुनाव जीत चुकी है। एक आरोप है कि आज तक लैंगिक अल्पसंख्यकों का काम करनेवाली तथाकथित संस्थाओं के द्वारा धार्मिक लोगों के साथ वकालत का कार्यक्रम फर्जी तौर पर किया जाता था। अगर यह सच है तो यह कहीं से भी उचित नहीं था। छत्तीसगढ़ की किन्नर अधिकार कार्यकर्ता रवीना बारिहा के द्वारा सर्वप्रथम अशोक बाटिका आश्रम के संचालक अजय दास जी महाराज के साथ विगत तीन वर्षों से इस कार्य योजना पर कार्य चल रहा था। इसके फलस्वरुप उपरांत लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के द्वारा इस पर बहुत ही महति कदम उठाने के बाद किन्नर अखाड़े का गठन हुआ।
पीठाधीश्वरों का चुनाव
स्थानीय प्रशासन एवम स्थानीय लोगों की सहयोग की भावना बहुत ही अच्छी थी। इसमें सदानंद गिरी समुदाय के प्रमुख संत के सहयोग की घोषणा बहुत ही खुशी की अनुभूति आस्था स्थानीय बिल्डर के द्वारा तीन हजार वर्ग फीट आश्रम तथा १० हजार वर्गफीट मंदिर के निर्माण के लिए दान पत्र दिया। जो कि वहां पर स्थाई तरीके से मंदिर निर्माण एवम आश्रम के निर्माण के लिए बहुत ही महंगी जमीन का दान मिलना हमारे लिए स्थानीय लोगों के द्वारा सहयोग की भावना प्रतिबिंब जीत होती है। जिसका हमे सदुपयोग करने की महती आवश्यकता है। जिसका हम अपने से लैंगिक अल्पसंख्यकता को अच्छे तरीके से समाज में ले जाने के लिए जगह मिलेगी किन्नर अखाड़ा देश के इतिहास में और धार्मिक इतिहास में प्रमुखता से जगह पायेगा। मीडिया के द्वारा बहुत ही अच्छा सहयोगी रवैया रहा। यह परिलक्षित हो रहा है कि आगे के दिनों में किन्नर अखाड़े के भविष्य के साथ किन्नर को भविष्य को अगर जोड़ा जाए तो उनकी पहचान के लिए बहुत ही अच्छा समय होगा।
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- सामाजिक स्वीकार्यता की ओर - September 6, 2015