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संपादकीय ७ (१ जुलाई २०१४)

संपादकीय; थीम: 'खोज'। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन।

संपादकीय; थीम: ‘खोज’। तस्वीर: बृजेश सुकुमारन।

इस अंक की थीम है ‘खोज’।

धारा ३७७ के खिलाफ के संघर्ष में भी एक अभिनव तरीका ढूंढा है मुंबई के हमसफ़र ट्रस्ट ने, जिन्होंने हालिया जागतिक प्राइड मेंधारा ३७७ के विरुद्ध एक सार्वजनिक याचिकाका विमोचन किया। आपसे अनुरोध है की आप इसे साइन करें और अपनी आवाज़ जुटाएँ।

हादी हुसैन की श्रृंखलाबद्ध कहानी “जीरो लाइन – एक पाक भारत प्रेम कथा” के दूसरे भाग में हम विचार करने पर मजबूर होते हैं: इत्तेफ़ाक़न बनने वाले संबंधों का, और उनमें किये जाने वाले प्रेम की तलाश का क्या अंजाम होता है? इस बार हम एक नया अनुभाग शुरू कर रहे हैं, “मेरी कहानी मेरी ज़बानी”, और इसका आग़ाज़ करेंगे धनञ्जय चौहान की स्तब्ध करने वाली जीवन-गाथा से। धनञ्जय के जीवन ने कई कठिन मोड़ लिए, लेकिन उन्होंने रस्ते ढूंढने और अपनी मन्ज़िल पाने का ध्येय नहीं छोड़ा।

आदित्य शंकर की कविता “ढूँढो एक तरीक़ा” में वे इसी खोज का अन्वेषण करते हैं। उनके अनुसार ज़िन्दगी के खेल में हार-जीत ज़्यादा महत्त्वपूर्ण नहीं, इस खोज से अपने अस्तित्व को प्रकट करना मायने रखता है। पढ़नेवालों को खोजनेवाले बना देते हैं छायाचित्रकार नफीस अहमद ग़ाज़ी, अपने तस्वीरी मजमून ‘कुदरती शनाख्त’ के दूसरे भाग में। प्यार की खोज शायद मानवीय जीवन की सबसे बड़ी खोज होती है। “राइट टू लव” प्रोजेक्ट के कर्ताओं से एक मुलाक़ात, अक्षत शर्मा द्वारा।

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आपका विनम्र,
सचिन जैन
संपादक, गेलेक्सी हिंदी

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